नीति आयोग: भारत में योजना आयोग का गठन कब हुआ

Bharat Mein Yojana Aayog Ka Gathan Kab Hua– योजना आयोग भारत सरकार की एक प्रमुख संस्था थी, जिसे 15 मार्च, 1950 को स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य देश की आर्थिक विकास योजना बनाना और उसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना था। योजना आयोग ने विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से आर्थिक विकास, औद्योगिकीकरण, कृषि सुधार, और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में नीतियाँ विकसित कीं।

Bharat Mein Yojana Aayog Ka Gathan Kab Hua
***नोट - सभी पाठक ध्यान दे! हो सकता है की लेख में लिखित कुछ प्रक्रियाएं वर्तमान समय में अधिकारिक वेबसाइट पर सक्रिय नहीं है। अत:सभी प्रक्रियाएं सक्रिय हो जाने पर आप लेख में लिखित तरीकों से सभी प्रक्रियाओं की जानकारी प्राप्त कर सकत है।

इसके कार्यक्षेत्र में राज्यों के विकास के लिए वित्तीय सहायता और संसाधनों का आवंटन, योजना निर्माण में मार्गदर्शन, और विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय शामिल था। योजना आयोग का ढांचा एक अध्यक्ष (प्रधान मंत्री), उपाध्यक्ष, और विभिन्न सदस्य शामिल होते थे, जो विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते थे। हालांकि, समय के साथ भारत की विकासात्मक आवश्यकताएँ बदलने पर 2014 में योजना आयोग को समाप्त कर दिया गया और इसके स्थान पर नीति आयोग की स्थापना की गई, जो एक थिंक टैंक के रूप में काम करता है और सरकार को नीतिगत सलाह देता है।

Bharat Mein Yojana Aayog Ka Gathan Kab Hua ?

भारत में योजना आयोग का गठन 15 मार्च 1950 को हुआ था। यह संस्था स्वतंत्रता के बाद की पहली योजना बनाने के लिए स्थापित की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य देश के आर्थिक और सामाजिक विकास को दिशा देना था। योजना आयोग की स्थापना के पीछे का उद्देश्य था, एक समग्र योजना के माध्यम से विकास के विभिन्न पहलुओं को समाहित करना, जिसमें कृषि, उद्योग, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों का समावेश था। इसके गठन के समय, भारत एक नवोदित राष्ट्र था, जिसे स्वतंत्रता के बाद आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। योजना आयोग ने पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से विकास की एक रूपरेखा तैयार की, जिससे देश की बुनियादी संरचना, आर्थिक स्थिरता और सामाजिक समृद्धि में सुधार हो सके।

इस आयोग का कार्य केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित करना, नीतियों को विकसित करना, और विकासात्मक योजनाओं की निगरानी करना था। 1950 से लेकर 2014 तक, योजना आयोग ने कई पंचवर्षीय योजनाएं तैयार कीं, जो भारत के विकास में महत्वपूर्ण साबित हुईं। हालांकि, 2015 में नीति आयोग के गठन के साथ योजना आयोग की भूमिका समाप्त हो गई, जिसने विकास की नई दृष्टि के साथ कार्य करना शुरू किया।

Niti Aayog Ka Gathan Kab Hua ?

नीति आयोग का गठन 1 जनवरी 2015 को किया गया था। इसे योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया, जो भारत सरकार की एक प्रमुख नीतिगत संस्था थी। नीति आयोग की स्थापना का मुख्य उद्देश्य देश के सामाजिक और आर्थिक विकास को नई दिशा प्रदान करना था, जिससे कि भारत को एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र बनाया जा सके। यह संस्थान “अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार” के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका उद्देश्य सरकारी प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाना है। नीति आयोग का पूरा नाम “नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया” है।

इसका गठन केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक में लिया गया निर्णय था, जिसमें यह महसूस किया गया कि भारत को तेजी से विकास की आवश्यकता है और इसके लिए एक प्रभावी योजना एवं नीति निर्माण की दिशा में एक नई एजेंसी की जरूरत है। नीति आयोग के अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं, और इसमें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं, जो इसे एक समन्वित और सहयोगात्मक संस्था बनाते हैं। Bharat Mein Yojana Aayog Ka Gathan Kab Hua

इसके प्रमुख कार्यों में नीति निर्माण, विकासात्मक लक्ष्यों की निगरानी और विभिन्न सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता का मूल्यांकन शामिल है। नीति आयोग ने भारत में विकास को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए नवाचार और अनुसंधान को भी बढ़ावा दिया है, जिससे समग्र विकास की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद मिली है।

योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष

योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष डॉ. वी.आई. मीनो (V. T. Krishnamachari) थे, जिनका कार्यकाल 1950 से 1962 तक चला। उनका जन्म 23 अक्टूबर 1905 को हुआ था। डॉ. मीनो एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और प्रशासक थे, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने भारतीय योजना और विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण किया, जिनका उद्देश्य देश के सामाजिक और आर्थिक विकास को गति प्रदान करना था।

डॉ. मीनो के नेतृत्व में योजना आयोग ने भारत के पहले पंचवर्षीय योजना की रूपरेखा तैयार की, जिसे 1951 में लागू किया गया। उनकी सोच थी कि योजना आयोग को एक नीतिगत थिंक टैंक के रूप में कार्य करना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि विकास की योजनाएँ समावेशी और प्रभावी हों। वे हमेशा ग्रामीण विकास और कृषि को प्राथमिकता देते थे, क्योंकि उनका मानना था कि ये क्षेत्रों में सुधार से ही समग्र विकास संभव है।

उनका दृष्टिकोण योजना आयोग की कार्यशैली में एक नया आयाम लाया। डॉ. मीनो ने समन्वित विकास की दिशा में कई विचार प्रस्तुत किए, जिससे भारतीय समाज के सभी वर्गों को लाभ मिल सके। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता ने योजना आयोग को एक स्थायी और प्रभावी संस्था में परिवर्तित किया, जिसने बाद में भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

योजना आयोग के कार्य Bharat Mein Yojana Aayog Ka Gathan Kab Hua

योजना आयोग, जिसे 1950 में स्थापित किया गया था, ने भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके कार्यों को निम्नलिखित बिंदुओं में विस्तार से समझा जा सकता है:

  1. पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण:
    योजना आयोग ने पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश की विकासात्मक रणनीतियों का निर्धारण किया। हर योजना में आर्थिक वृद्धि, सामाजिक कल्याण, और देश के संसाधनों के बेहतर उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह योजनाएँ भारतीय अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं और चुनौतियों के अनुसार बनाई गई थीं।
  2. नीतिगत सलाह और दिशा:
    आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों को नीति निर्माण में सलाह दी। यह विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य, और शिक्षा में विकास के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता था, जिससे योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन हो सके।
  3. संविधान और संसाधनों का प्रबंधन:
    योजना आयोग ने संसाधनों के समुचित वितरण और उपयोग की योजना बनाई। यह सुनिश्चित किया गया कि विकासात्मक गतिविधियों के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन सही तरीके से हो।
  4. सामाजिक कल्याण योजनाएँ:
    आयोग ने गरीबों, महिलाओं, और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए विशेष योजनाएँ तैयार कीं। यह सामाजिक न्याय, रोजगार सृजन, और गरीबी उन्मूलन के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का निर्माण करता था।
  5. राज्यों के साथ समन्वय:
    योजना आयोग ने राज्यों के विकास के लिए एक समन्वयात्मक ढांचा प्रदान किया। यह विभिन्न राज्यों के विकासात्मक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए योजनाओं का निर्माण करता था, जिससे राज्य सरकारों और केंद्र के बीच सहयोग बढ़ता था।
  6. निगरानी और मूल्यांकन:
    आयोग ने योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी की और उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया। यह सुनिश्चित करता था कि योजनाएँ निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार आगे बढ़ रही हैं और आवश्यकतानुसार संशोधन भी करता था।
  7. अनुसंधान और अध्ययन:
    योजना आयोग ने विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और अध्ययन को बढ़ावा दिया। यह डेटा संग्रहण और विश्लेषण के माध्यम से नीतियों के निर्माण में सहायता करता था, जिससे योजनाएँ अधिक प्रभावी और सटीक बनती थीं।
  8. सहयोग और भागीदारी:
    आयोग ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग किया। यह विदेशी निवेश और तकनीकी सहायता के लिए एक मंच प्रदान करता था, जिससे विकासात्मक गतिविधियों में तेजी लाई जा सके।
  9. विकास के लिए जन भागीदारी:
    योजना आयोग ने जन भागीदारी को बढ़ावा दिया, जिससे नागरिकों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए योजनाएँ बनाई जा सकें। यह सुनिश्चित करता था कि सभी वर्गों का विकास समावेशी हो।
  10. प्रौद्योगिकी का उपयोग: Bharat Mein Yojana Aayog Ka Gathan Kab Hua
    आयोग ने विकासात्मक कार्यों में प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग करने के लिए दिशा-निर्देश दिए। यह सुनिश्चित करता था कि तकनीकी नवाचारों का लाभ अधिकतम संख्या में लोगों तक पहुंचे।

योजना आयोग के अंतिम उपाध्यक्ष कौन थे ?

योजना आयोग के अंतिम उपाध्यक्ष, मोनtek सिंह अहलुवालिया थे। उनका जन्म 24 नवंबर 1946 को पंजाब के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा की शुरुआत सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से की और फिर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। मोनtek सिंह ने भारत सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिसमें वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार के रूप में काम शामिल है।

योजना आयोग में योगदान

मोनtek सिंह अहलुवालिया ने 2009 से लेकर 2014 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल में उन्होंने भारत की आर्थिक नीतियों में कई महत्वपूर्ण सुधारों की दिशा में प्रयास किए।

  • आर्थिक सुधार: उन्होंने आर्थिक सुधारों के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाया, जिसमें गरीबी उन्मूलन, रोजगार सृजन और सामाजिक विकास को प्राथमिकता दी गई। उनके नेतृत्व में योजना आयोग ने पंचवर्षीय योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर दिया। Bharat Mein Yojana Aayog Ka Gathan Kab Hua
  • सामाजिक कल्याण योजनाएँ: मोनtek ने विशेष रूप से सामाजिक कल्याण योजनाओं को लागू करने में योगदान दिया, जिसमें महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समुदायों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • राज्य सरकारों के साथ सहयोग: उन्होंने राज्यों के विकास के लिए एक सहकारी दृष्टिकोण अपनाया, जिससे राज्यों को अपनी विशेष आवश्यकताओं के अनुसार योजनाएँ बनाने में मदद मिली।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था: मोनtek ने वैश्विक आर्थिक संदर्भ में भारत की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए नीतियों को तैयार किया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने पर जोर दिया।

नीति आयोग के गठन के बाद

योजना आयोग का कार्यकाल 2015 में समाप्त हुआ, जब नरेंद्र मोदी सरकार ने नीति आयोग का गठन किया। मोनtek सिंह अहलुवालिया का योगदान भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण रहा, और वे एक ऐसे व्यक्ति माने जाते हैं जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में एक नई दिशा दी। उनका अनुभव और ज्ञान आज भी नीतिगत निर्माण में उपयोगी साबित हो रहा है।

उनकी विदाई के बाद, उन्होंने विभिन्न संस्थानों में सलाहकार के रूप में काम करना जारी रखा और भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अपने विचार साझा करते रहे। मोनtek सिंह की पहचान एक प्रमुख अर्थशास्त्री और विकासशील देशों के लिए एक प्रभावशाली विचारक के रूप में की जाती है।

Home
https://www.pmindia.gov.in/

Leave a Comment