Mango (आम) की खेती से जुड़े किसानों के लिए अब एक नई उम्मीद की किरण सामने आई है। Restructured Weather Based Crop Insurance Scheme (RWBCIS) भारत सरकार के राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NDA) के तहत, इस वर्ष एक नई और अहम योजना, “पुनर्निर्मित मौसम आधारित फसल बीमा योजना” (RWBCIS), लागू की गई है, जो विशेष रूप से आम की फसल के लिए बनाई गई है।
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यह योजना किसानों को मौसम संबंधी नुकसान से बचाने का एक सशक्त उपाय साबित हो सकती है। खासकर चित्तूर जिले, जो आम की पैदावार के लिए प्रसिद्ध है, में किसानों को इस योजना से बहुत लाभ हो सकता है।
Restructured Weather Based Crop Insurance Scheme फसल बीमा योजना के लाभ
इस योजना के तहत, किसान अपने खेतों में आम की फसल की बीमा करवा सकते हैं, जिससे उन्हें अनियंत्रित मौसम की वजह से होने वाले नुकसान से सुरक्षा मिलेगी। किसान इस बीमा योजना का लाभ लेने के लिए प्रति एकड़ ₹1750 का प्रीमियम अदा करेंगे। इस प्रीमियम के बदले, उन्हें प्रत्येक एकड़ पर ₹35,000 तक की बीमा कवरेज मिलेगी।
अब यह सवाल उठता है कि इस योजना में क्या-क्या बदलाव और फायदे हैं? सबसे पहले तो, यह योजना पूरी तरह से मौसम पर आधारित है, जिसका मतलब है कि किसानों को केवल तभी नुकसान होगा जब मौसम की चार प्रमुख स्थितियां—वृष्टि, तापमान, आर्द्रता और हवाएं—एक निर्धारित मानक से बाहर होंगी। अगर इन चारों घटकों का संतुलन बिगड़ता है तो किसानों को पूरा बीमा भुगतान मिलेगा।
Restructured Weather Based Crop Insurance Scheme Registration Process और महत्वपूर्ण तिथियां
अगर किसान इस बीमा योजना का लाभ लेना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी फसल का पंजीकरण करवाना होगा। इसके लिए उन्हें ₹1750 प्रति एकड़ का प्रीमियम भुगतान करना होगा। पंजीकरण की अंतिम तिथि 15 दिसंबर 2024 तक है, जिससे पहले किसानों को पंजीकरण पूरा करना होगा। इस योजना के तहत, किसान 1 अक्टूबर 2024 के बाद लगाई गई आम की फसल को कवर कर सकते हैं। पंजीकरण के लिए किसान बैंक, सामान्य सेवा केंद्र (CSC), ग्राम सचिवालय, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) या मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
चरणबद्ध तरीके से यह प्रक्रिया सरल बनाई गई है ताकि किसान इसे आसानी से पूरा कर सकें। हालांकि, चित्तूर जिले के 69,800 और तिरुपति जिले के 20,000 किसानों के लिए यह योजना लागू की जाएगी। इसके तहत लगभग 58,450 हेक्टेयर और 54,000 एकड़ क्षेत्र को कवर किया जाएगा।
मौसम संबंधी जोखिम
यह योजना मुख्य रूप से चार मौसम घटकों पर आधारित है: वृष्टि, तापमान, आर्द्रता और हवा। इन चार घटकों की सटीक माप और निगरानी के लिए चित्तूर जिले में 93 स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित किए गए हैं, जो विशेष रूप से बिजली उपकेंद्रों में स्थित हैं। इन स्टेशनों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर ही बीमा क्लेम का निर्धारण किया जाएगा।
इन स्टेशनों की रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय किया जाएगा कि मौसम के हालात कितने खराब थे और इसके कारण किसान को कितना नुकसान हुआ। यही वजह है कि इस योजना को लेकर किसानों में एक तरह का भरोसा पैदा हो सकता है, क्योंकि आंकड़े ठोस और सही तरीके से जुटाए जा रहे हैं।
बीमा पॉलिसी की चुनौतियां
हालांकि, इस योजना को लेकर किसानों में उत्साह है, लेकिन कुछ किसान इसे लेकर चिंतित भी हैं। उदाहरण के लिए, एक किसान को 5 एकड़ के लिए ₹8,750 का प्रीमियम भुगतान करना होगा। यह राशि कई किसानों के लिए भारी पड़ सकती है, खासकर उन किसानों के लिए जिनकी आर्थिक स्थिति पहले ही खराब हो चुकी है।
कुछ किसान इस राशि को वहन करने में असमर्थ हैं, और उन्हें इस योजना के बारे में शंका है कि क्या वे इसका पूरा लाभ उठा पाएंगे या नहीं। फिर भी, पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और किसान धीरे-धीरे इसमें शामिल हो रहे हैं।
किसानों की प्रतिक्रियाएं और उम्मीदें
किसानों ने इस योजना को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ किसान इसे सकारात्मक रूप से देख रहे हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि यह योजना उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से बचाएगी और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी। वहीं, कुछ किसान इस योजना की उच्च प्रीमियम राशि को लेकर चिंतित हैं।
हालांकि, इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि किसानों को किस हद तक इस योजना के बारे में सही जानकारी मिलती है और वे इसे अपनाते हैं या नहीं।
निष्कर्ष
मांगो (आम) किसानों के लिए “पुनर्निर्मित मौसम आधारित फसल बीमा योजना” एक बहुत बड़ा कदम है, जो उन्हें अप्रत्याशित मौसम की घटनाओं से सुरक्षा देने का एक मजबूत प्रयास है। इस योजना के माध्यम से किसानों को एक नई उम्मीद मिल सकती है, जो उनकी खेती को स्थिर और लाभकारी बना सकती है।
हालांकि, किसानों को प्रीमियम के रूप में एक निश्चित राशि का भुगतान करना होगा, लेकिन अगर यह योजना किसानों के बीच सही तरीके से प्रसारित होती है और किसानों को इसके लाभ के बारे में सही जानकारी मिलती है, तो यह योजना उन्हें मौसम संबंधी आपदाओं से बचाने और उन्हें आर्थिक रूप से पुनः सशक्त बनाने में मददगार साबित हो सकती है।